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नमस्कार,
इस पोस्ट पर आपको क्या जानकारी प्राप्त होने वाली है?
तो आइये देखते है :-
* क्षेत्रवाद क्या है,
* क्षेत्रवाद की परिभाषा,
* क्षेत्रवाद की विशेषता,
*क्षेत्रवाद के कारण,
* क्षेत्रवाद का दुष्परिणाम,
* निष्कर्ष और सुझाव
के बारे मे गहराई से अध्ययन करेंगे, ताकि कभी भी या किसी भी एग्जाम मे क्षेत्रवाद से सम्बन्धी प्रश्न पूछे तो आप आसानी से उस उत्तर दे सके, तो चलिए शुरू करते है,
क्षेत्रवाद :-
एक विशेष क्षेत्र में रहने वाले लोगों की भावना से है जिसके अंतर्गत वे अपनी एक विशेष भाषा, संस्कृति, इतिहास, व्यवहार के आधार पर उस क्षेत्र से विशेष अपनापन महसूस करते हैं और क्षेत्रीय आधार पर स्वयं को एक समूह के रूप में देखते हैं,
हेडविंग के अनुसार :-
" क्षेत्रवाद एक विशेष लोगों के विशेष लगाव और पक्षपात पूर्ण भावनाओं से जुड़ा है और इसीलिए इसके अंतर्गत आधुनिक राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन की अनेक समस्याओं,
जैसे अल्पसंख्यक की समस्या, स्थानीय स्वशासन, स्थानीय देशभक्ति आदि शामिल होते हैं,
एक क्षेत्र विशेष के प्रति वहां के लोगों की अंधभक्ति और पक्षपात से जुड़ी भावना ही क्षेत्रवाद है,
क्षेत्रवाद की विशेषता:-
1: क्षेत्रवाद स्थानीय देशभक्ति का एक विघटित रूप है जिसमें पूरे देश की तुलना में एक विशेष क्षेत्र के हितों को अधिक मुख्य समझा जाता है,
2: क्षेत्रवाद एक सीखा हुआ व्यवहार है,
3: यह एक विशेष क्षेत्र को एक अनेक राजनीतिक और सामाजिक इकाई के रूप में देखता है,
4 संस्कृतिक विरासत में विभिन्नता होने से इसके प्रभाव में भी वृद्धि हो जाती है,
5: क्षेत्रवाद का सीधा संबंध राजनीतिक और सरकार में प्रतिनिधित्व से है,
क्षेत्रवाद के कारण:-
1:राजनीतिक कारण:-
स्थानीय नेता अपने राजनीतिक स्वार्थ को पूरा करने के लिए क्षेत्र के लोगों को संगठित होकर दूसरे क्षेत्र के विरोध में तनाव उत्पन्न करते हैं,
2 :आर्थिक स्वार्थ:-
जो क्षेत्र आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं उनमें नए उद्योग लागू करने और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने की मां की जाती है लेकिन स्थानीय नेताओं को अपना स्वार्थ पूरा करने का अवसर मिल जाता है,
3: भाषा में विभिन्नता:-
भाषा अलग होने के कारण उग्र प्रदर्शन क्षेत्रवाद की समस्या को स्पष्ट करते हैं,
4: भौगोलिक कारक:-
सभी क्षेत्रों में मौसम और प्रकृति पर आधारित आजीविका l के साधन एक दूसरे से अलग है सभी क्षेत्रों के लोग अपनी भौगोलिक दशा को दूसरे क्षेत्रों से अधिक अच्छा समझते हैं,
वे यह भी चाहते हैं कि उनसे अलग भौगोलिक क्षेत्र के लोगों का उनसे मिश्रण ना हो सके जिसके उनके भौगोलिक पर बनी रहे यह कारण क्षेत्रवाद को बढ़ाता है,
5: सांस्कृतिक विविधता :-
जिस क्षेत्र के सांस्कृतिक विशेषता जैसे - क्षेत्र, धर्म, राजनीतिक, मूल्य भाषा प्रथा दूसरे क्षेत्रों से अलग होती है वह अपने आप को एक अन्य सांस्कृतिक समुदाय के रूप में देखने लगता है,
और प्रत्येक सांस्कृतिक क्षेत्र अपने आपको दूसरे क्षेत्रों से महत्वपूर्ण समझता है,
6: ऐतिहासिक कारक:-
विभिन्न क्षेत्रों का शासन अलग -अलग राजाओं से अधीन रहने के कारण उनकी आपसी हार जीत के आधार पर आज भी कुछ क्षेत्रों के लोग स्वयं को दूसरे क्षेत्रों से अधिक ऊंचा मानते हैं,
7: मनोवैज्ञानिक कारण:-
प्रत्येक क्षेत्र के लोगों का अपने क्षेत्र से एक विशेष लगाव होता है वह दूसरे क्षेत्रों से अपने क्षेत्र को अधिक प्राथमिकता देते हैं,
क्षेत्रवाद का दुष्परिणाम:-
1: संकीर्ण नेतृत्व का विकास:-
क्षेत्रवाद का सबसे बुरा परिणाम ऐसे स्वार्थ नेताओं की संख्या में वृद्धि होना है जो क्षेत्रीय भावनाओं को भड़का कर अपने स्वार्थ को पूरा करने में रहते हैं,
2: राष्ट्रीय के विकास में बाधा:-
प्रत्येक क्षेत्र के लोग अधिक से अधिक अधिकारों और सुविधाओं की मांग को लेकर एक दूसरे के विरुद्ध बनाए जाते हैं,
3:सामाजिक न्याय के लिए चुनौती:-
क्षेत्रवाद सामाजिक न्याय के सभी सिद्धांतों को दूर कर देता है क्षेत्रवाद की भावना ना तो व्यक्ति की कुशलता को महत्व देती है,
और ना ही क्षेत्र के अनुसार आवश्यकता को इसका एक मात्र आधार व्यक्ति की कुशलता को मूल्यांकन उसीकी क्षेत्रीय स्थिरता के आधार पर करना होता है,
4 : क्षेत्रीय तनाव:-
क्षेत्रीय आधार पर कारखानों का निर्माण, विश्वविद्यालयों की स्थापना, प्राकृतिक साधनों का बंटवारा जैसे विषयों को लेकर वर्तमान में जिस प्रकार के विवाद बढ़ते जा रहे हैं,
उसे क्षेत्रीय तनाव की स्थिति भी बहुत अधिक गंभीर बनती जा रही है,
5: प्रगति में बाधा:-
क्षेत्रवाद आंदोलनकारी भावनाओं को बढ़ावा देकर सामाजिक प्रगति में बाधा पहुंच जाती है,
6: भाषा की समस्या:-
भाषा की समस्या के कारण विभिन्न क्षेत्रों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक संपर्क टूटने लगता है और क्षेत्रवाद की समस्याएं उलझने के स्थान पर अधिक उलझ जाते हैं,
निष्कर्ष और सुझाव:-
1:-सरकार द्वारा नीतियों का निर्माण देश के हित में हो ना कि किसी क्षेत्र विशेष के हित में,
2:- विकास का क्रम इस प्रकार किया जाना चाहिए जिससे सभी क्षेत्रों का संतुलित विकास हो सके,
3:- क्षेत्रवाद को दूर करने के लिए सभी क्षेत्रों को एक दूसरे से जोड़ने वाला एक सामान्य आधार ढूंढना होगा और यह कार्य किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा की घोषणा से पूरा किया जा सकता है,
4 :-क्षेत्रीया भाषाओं का आदर करना और उन्हें मजबूत बनाने के लिए प्रयास करना अधिक आवश्यक है,
मैं आशा करता हु की आप को यह पोस्ट पसंद आयी होंगी ,साथ ही अच्छी तरह समझ आयी होंगी ,अगर कोई परेशानी हुई होंगी तो हमें कमैंट्स करें ,ताकि मैं आपकी परेशानी को दूर कर सकूँ ,
धन्यवाद