क्लास 12 सोशियोलॉजी नोट हिन्दी मे 2021 एग्जाम के लिए
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इस पोस्ट पर क्या क्या पढ़ने को मिलेगा।
अब आप को लग रहा होगा की इस पोस्ट को अंतिम तक क्यों पढ़े क्योंकि आपको इस पोस्ट पर निम्नलिखित जानकारी मिलने वाला है इस आप इस पोस्ट को फॉलो कर ले और पूरा पढ़े।
इस पोस्ट पर आपको क्या पढ़ने को मिलेगा :-
अब हम आपको बताने वाले है की आपको इस पोस्ट क्या क्या पढ़ने को मिलेगा। इस पोस्ट पर आपको निम्नलिखित जानकारी मिलने वाला है
जनजातीय क्या है?
जनजातियों की प्रक्रिया विशेषता,
प्रमुख जनजातियां संस्थाएं,
जनजातियों मे जीवन साथी के चुनाव के तरीके,
जनजातीय क्या है?
जनजातीय एक ऐसी क्षेत्रीय समूह है जिसके सदस्य एक विशेष संस्कृति भाषा धर्म और राष्ट्र को प्रदर्शित करते हैं अतः सामाजिक और राजनीतिक आधार पर एक आत्मनिर्भर जीवन बिताते हैं.
जमुमदार के अनुसार :-
जनजाति परिवारों का एक ऐसा समूह है जिसका एक सामान्य नाम होता है जिसके सदस्य एक निश्चित क्षेत्र में रहती है एक सामान्य भाषा होती है और विभिन्न व्यवसाय के विषय में कुछ विशेष नियमों का पालन करते हैं
जनजातियों की प्रक्रिया विशेषता :-
1 : क्षेत्रीय समूह :-
जनजाति एक ऐसा क्षेत्रीय समुह है जो किसी निश्चित भूभाग पर रहते हैं.
2: सामान्य भाषा:
एक जनजातीय के सभी सदस्य एक समान भाषा बोलते हैं, इसलिए इसे सामान्य भाषा कहते है.
3:बड़ा आकार :-
एक जनजातीय के सदस्यों की संख्या लाखों में होती है कुछ जनजाति ऐसी भी है जिनकी सदस्यों की संख्या 30 लाख या इस से अधिक है.
4अंतर्वीवही समूह :-
प्रत्येक जनजातियों में सदस्यों को केवल अपनी जनजातियों के अंदर विवाह संबंध बनाना अनिवार्य होता है, इस जनजाति मे कोई भी अपनी जनजाति से हट कर दूसरे जनजाति से विवाह नहीं कर सकता है, इसलिए इसे अंतर्वीवही समूह कहते है,
5: सामान्य संस्कृति:.-
प्रत्येक जनजाति की अपनी एक अलग संस्कृति होती है और प्रत्येक सदस्य को अपनी संस्कृति से जुड़े नियमों का पालन करना आवश्यक होता है,
6: एक राजनितिक इकाई :-
प्रत्येक जनजाति मे मुखिया की पंचायत द्वारा सदस्यों के व्यव्हार पर जनजातीय कानूनों के अनुसार नियंत्रण रखा जाता है और उन्हीं के अनुसार सदस्यों को दंड दिया जाता है.
प्रमुख जनजातियां संस्थाएं:-
1. जनजाति परिवार :-
जनजातीय परिवार के सबसे मुख्य विशेषता यह है कि इनमें परिवार की सत्ता पर पुरुष का अधिकार नहीं होता एक बड़ी संख्या में यहां मातृसत्तातमक परिवार पाई जाती है,
यह वे परिवार है जिनमें परिवार की शक्ति किसी बड़ी स्त्री के हाथ में होता है, और अनेक दसा में संपत्ति का अधिकार भी माता से उसकी पुत्र को मिलता है,
वह की परंपरा किसी स्त्री सदस्य के नाम पर चलती है, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में ऐसे परिवार से स्त्रियों की अधिकता पुरुषों से अधिक होती है.
2-जनजातीय विवाह :-
विवाह के आधार पर जनजातियों को एक अंतर विवाहित समुदाय कहा जाता है क्योंकि किसी भी व्यक्ति को अपनी जनजाति से बाहर विवाह करने की अनुमति नहीं दी जाती है,
दूसरे समुदायों की तरह जनजातियों में विवाह का भी प्रचलन है, लेकिन अनेक जनजातियों में बहुपत्नी विवाह और बहुपति का भी प्रचलन है, बहू पत्नी विवाह में पुरुष की विभिन्न पत्नियों यदि आपस बहने होती है,
तो उसे एक पक्षीय बहू पत्नी विवाह कहा जाता है, यदि विभिन्न पत्नियों में कोई नातेदारी संभव ना हो तो इसे हम स्वतंत्र बहू पत्नी विवाह कहते हैं,
अनेक जनजातियों में एक से अधिक रिएक्ट पत्नियों को रखना सामाजिक प्रतिष्ठा का विषय माना जाता है,
जनजातियों मे जीवन साथी के चुनाव के तरीके :-
1- हरण विवाह :-
हरण विवाह के अनुसार पूर्व पुरुष द्वारा किसी लड़की को बलपूर्वक ले जाकर उससे विवाह करना है, हो, गोंडा और संस्थान जनजातियों में ऐसी विवाह प्रचलन है.
2. परीक्षा विवाह :-
अनेक जनजाति मे विवाह की इच्छा रखने वाले युवक को अपनी सारी शक्ति और साहस का परिचय देना पड़ता है गुजरात के भेद जनजातियों में ऐसा विवाह का प्रचलन है.
3- हठ विवाह :-
भारत की उराओ, बिहार, संथाल आदि जनजाति मे ऐसे प्रथा का प्रचलन है, यदि कोई लड़की किसी युवक के अनेक प्रयासों के बाद भी घर से बाहर नहीं निकलती, तब माता -पिता को अपने पुत्र का विवाह उसके साथ करना अवसयक हो जाता है,
4- सेवा विवाह :-
इसमें विवाह की इक्षा रखने वाला युवक यदि लड़की के माता पिता को कन्या मूल्य का भुकतान करने के बदले कुछ समय तक लड़की के घर मे रहकर उसके माता पिता की सेवा करता है, इसके बाद ही विवाह की अनुमति दी जाती है,
5- क्रय विवाह :-
भागों को विवाह से पहले कन्या के माता-पिता के घर में रहकर अपने अच्छे व्यवहार का परिचय देना पड़ता है, इससे सफलता मिलने के बाद ही यह लड़की के साथ विवाह करने की अनुमति दी जाती है
6 सह पलायन विवाह :-
विवाह की इच्छा रखने वाला युवक और युवती के माता-पिता द्वारा यदि इन्हें विवाह की आज्ञा नहीं दी जाती तो वे अपने गांव से दूर जाकर विवाह कर लेते हैं संतान का जन्म हो जाने के बाद घर वापस आती है तो ऐसे विवाह को मान्यता दी जाती है.
7- विनिमय विवाह:-
ऐसे विवाह में पुरुष जिस परिवार से पत्नी को प्राप्त करता है उस परिवार के किसी पुरुष के साथ उसे अपने परिवार के किसी लड़के का विवाह करना होता है, अधिकांश जनजातियों में ऐसे विवाह का प्रचलन है.
मुझे आशा है की आपको अभी इस पोस्ट को यहाँ तक पढ़ रहे है तो आपको यह पोस्ट पसंद आया होगा इसलिए आप इस पोस्ट को यहाँ तक पढ़ रहे है,
अगर अभी आपको कोई दिकत हुई होंगी पढ़ने मे या हमसे कोई गलती हो गई होंगी तो हमें माफ़ कर दीजियेगा।और कुछ पढ़ना चाह रहे होंगे तो हमें कमैंट्स जरूर करें धन्यवाद.
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