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क्लास-11 भूगोल ( geography ) अध्याय भारत की स्थिति नोट्स

क्लास-11 भूगोल ( geography ) अध्याय  भारत की स्थिति नोट्स



नमस्कार,

आज इस पोस्ट पर भारत की स्थिति अध्याय के बारे में पढ़गे, तो आइये पढ़ते है :-

भारत विश्व के उत्तरी गोलार्ध तथा पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है, यह एशिया महाद्वीप का दक्षिणी भाग है भारत का अक्षांशीय विस्तार 8°4 - 37°6 तथा देशांतर विस्तार 68°7 - 97°25 E है, 


उत्तर से दक्षिण भारत के नंबर 3214 किलोमीटर है तथा पूर्व से पश्चिम इसकी चौड़ाई 2933 किलोमीटर है, 

भारत के उत्तर में जम्मू कश्मीर, दक्षिण में कन्याकुमारी, पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तथा पश्चिम में गुजरात है, भारत में कुल 30 अक्षांश और 30 देशांतर रेखाएं है




क्लास-11, भूगोल ( geography ), अध्याय :-पृथ्वी की उत्तपत्ति एवं विकास ( The origin and evolution of the Earth ), नोट्स




भारत का मानक समय:- 

भारत का मानक समय रेखा 82 1/2 °ए या पूर्वी देशांतर रेखा है. जिसके आधार पर भारत का समय निश्चित किया जाता है, यह रेखा भारत के इलाहाबाद से गुजरती है भारत के मानक समय रेखा ग्रीन विच रेखा से 5 1/2 घंटे आगे चलती है, 

भारत में कुल 29 राज्य है, क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान सबसे बड़ा राज्य है जबकि जनसंख्या के दृस्टि से उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य तथा सिक्किम सबसे छोटा राज्य है, 

जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य तथा सिक्किम सबसे छोटा राज्य




भारत का क्षेत्रफल:-

भारत का कुल क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर है, जिसके आधार पर विश्व में सातवां स्थान रखता है,

भारत की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 121 करोड़ थी जनसंख्या के आधार पर भारत को विश्व का दूसरा स्थान रखता है, 

भारत में स्थानीय सीमा की कुल लंबाई 15200 किलोमीटर है, भारत बांग्लादेश के साथ सबसे लंबी स्थलीय सीमा 4096 किलोमीटर बनाता है भारत की तटीय सीमा की लंबाई 6100 किलोमीटर है




भारत के पड़ोसी देश:-


भारत के पडोसी देश निम्नलिखित हैँ :-

बांग्लादेश, चीन, नेपाल, पाकिस्तान, म्यांमार, भूटान अफगानिस्तान तथा श्रीलंका है |





क्लास 11 जियोग्राफी का पूरा note उपलब्ध कराने वाला हूं, मैं एक एक कर के डेली एक पोस्ट डालूंगा, ताकि आपको याद करने मे परेशानी ना हो, 

अतः जियोग्राफी का पूरा नोट देखने के लिया आप हमसे बने रहे साथ ही चैनल को सब्सक्राइब कर दे, धन्यवाद,





आरम्भीक सिद्धांत :-

पृथ्वी की उत्पत्ति के संबंध में विभिन्न दार्शनिकों तथा वैज्ञानिकों ने बहुत से परिकल्पना प्रस्तुत की है जो निम्नलिखित है ---




1: प्रोफेसर ईमेनुल कांट :-

यह जर्मनी के दार्शनिक थे जिन्होंने सन 1755 में पृथ्वी की उत्पत्ति के संबंध में गैसीय राशि सिद्धांत प्रस्तुत किया उनके अनुसार प्रारंभ में आद्य पदार्थ ठंडा समान रूप से कणो में बिखरा हुआ था,

जिससे हमारे पृथ्वी और सौरमंडल के ग्रहों की उत्पत्ति हुई,



2 : लापलास के अनुसार :- 

यह महान फ्रांसीसी गणितज्ञ थे जिन्होंने पृथ्वी की उत्पत्ति के संबंध में निहारिका सिद्धांत से में 1796 में प्रस्तुत किया,

इनके अनुसार आद्य पदार्थ बहुत ही गर्म तथा मंद गति से घूमता था गर्म तथा मंद गति से घूमते हुए गैस के बादल को निहारिका कहते हैं,

इसी के नाम पर इस परिकल्पना का नाम निहारिका का सिद्धांत रखा गया,




3 : चैम्बरलेन के अनुसार :-

इन्होंने सन 1990 में अपनी ग्रहण संबंधित परिकल्पना प्रस्तुत की थी जिसके अनुसार ब्रह्मांड में एक अन्य भ्रमशील तारा सूर्य के निकट आ गया,

इस भ्रमशील तारा के गुरुत्वाकर्षण के कारण सूर्य के तल से सिगार के आकार के कुछ पदार्थ सूर्य के अलग हो गया और बाद में या पर आप संघ ने दो होकर ग्रहों का रूप धारण कर लिया,




सर जेम्स जींस के अनुसार :- 

इन्होंने सन 1919 में अपनी ज्वारीया सम्बंधित परिकल्पना प्रस्तुत की तथा अन्य वैज्ञानिक ने सन 1929 में इसमें कुछ संशोधन किया,

इस परिकल्पना के अनुसार आरंभ में सूर्य से बहुत बड़ा तारा किसी कारणवश सूर्य के निकट आया और अपने गुरुत्वाकर्षण शक्ति के करना सूर्य के गैस पदार्थ को अपनी ओर आकरशीत कर लिया,

यह पदार्थ विशाल जीहावाओ के रूप मे बाहर निकला ओर ग्रहो का निर्माण हुआ, 





ऑटो सीमिड के अनुसार :-

ऑटो सीमिडी से अपनी धूल एवं गैस परिकल्पना में ब्रह्मणड में अपार धूल एवं कण की बात कही,





आधुनिक सिद्धांत :-

आधुनिक सिद्धांत में बिग बैंग सिद्धांत अथवा विस्तृत ब्रह्मांड परिकल्पना सबसे महत्वपूर्ण है सन 1920 में एडमिन हब्बल ने इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया,

जिसे 1972 में सत्यापित किया गया इस सिद्धांत के अनुसार ब्राह्मण में सब कुछ एकाकी परमाणु से आज से लगभग 13.7 अरब छोटे आकार का था,


जैसे ही ब्राह्मण फैला अग्नि पीने से विकिरण हुआ और यह फैला कर ठंडा हो गयाहलके बादल पहले से ही उपस्थित थे,

बदलो के कण गुरुत्वाकर्षण द्वारा एक-दूसरे की ओर आकर्षित हुए और विखंडित होकर आकाशगंगा गांव में स्वयं टूटकर तारों का निर्माण किया,

बाद में तारे भी टूटे और ग्रहों का निर्माण हुआ हमारे सौरमंडल की रत्ना इसी प्रकार से हुई है,









आज के लिए इतना ही, आप सिर्फ हमारे द्वारा दिया हुआ पोस्ट पोस्ट को अच्छी तरह याद कर ले, क्योंकि इन्ही मे से परीक्षा मे पूछा जायेगा,


धन्यवाद



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