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Natedari kya hai, नातेदारी का परिभाषा, नातेदारी व्यवस्था, नातेदारी की शब्दावली, प्रकार,

 Natedari kya hai, नातेदारी का परिभाषा, नातेदारी व्यवस्था, नातेदारी की शब्दावली, प्रकार, 



नमस्कार, आप सभी को हमारे वेबसाइट पेज पर आने के लिए। इस पर मै आप सभी के लिए क्लास 12 के यानि इंटरमीडिएट ऑफ़ आर्ट्स के एक टॉपिक के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है। ये टॉपिक अत्यंत महत्वपूर्ण और जरुरी है इसलिए आप इस पोस्ट को अंतिम तक पढ़े और याद कर ले साथ ही आप इन सभी को अपने नोट बुक मे नोट्स कर ले यानि लिख कर रख ले क्योंकि समय आने पर इस तरह का पोस्ट कही देखने को नहीं मिलेगा। और साथ ही इस पोस्ट के निचे दिया हुआ फॉलो बटन को दबा के फॉलो कर ले ताकि मुझे मोटिवेशन मिले और ऐसा ही ढेर सारा पोस्ट आपके लिए ले कर आता रहूँगा धन्यवाद।



इस पोस्ट को क्यों पढ़े 

अब आप सोच रहे होंगे की आप इस पोस्ट को क्यों पढ़ेंगे। आप इस पोस्ट को इसलिए पढ़ेंगे क्योंकि आपको इस पोस्ट पर क्लास 12 के एक विषय के बारे मे बताने वाले है यानि इस विषय का सारा नोट्स आप के लिए ले कर आये है इसलिए आप इस पोस्ट को अंतिम तक पढ़े.।




इस पोस्ट पर क्या क्या पढ़ने को मिलेगा।

अब आप को लग रहा होगा की इस पोस्ट को अंतिम तक क्यों पढ़े क्योंकि आपको इस पोस्ट पर निम्नलिखित जानकारी मिलने वाला है इस आप इस पोस्ट को फॉलो कर ले और पूरा पढ़े।



इस पोस्ट पर आपको क्या पढ़ने को मिलेगा :-

अब हम आपको बताने वाले है की आपको इस पोस्ट क्या क्या पढ़ने को मिलेगा। इस पोस्ट पर आपको निम्नलिखित जानकारी मिलने वाला है :-

सयुक्त परिवार क्या है, 

सयुक्त परिवार के विशेषता,

 गुण और दोष

नातेदारी व्यवस्था 




सयुक्त परिवार क्या है, सयुक्त परिवार के विशेषता, गुण और दोष

नातेदारी व्यवस्था :-

नातेदारी रक्त और विवाह से जुड़े लोगो के बिच सामाजिक संबंध और विभिन्न प्रकार के सम्बन्धो की वह व्यवस्था है जो इन सम्बन्ध से जुड़े हुए लोगो को उनके सामाजिक अधिकार और कर्तव्य का ज्ञान करती है,




नातेदारी की शब्दावली :-

 किसी भी समूह में विभिन्न नातेदारी के लिए पर किए जाने वाले सम्बोधनो ही समझा जा सकता है कि अपने सभी संबंधों के प्रति हमारे सामाजिक संबंध किस तरह की है,




 नातेदारी शब्दावली को दो भागों में बांटा गया है:-

( 1 ) :- वर्गीकृत

( 2) :-वर्णनात्मक,




( 1 ) :- वर्गीकृत:-

वर्गीकृत व्यवस्था में हम अनेक नातेदारी को किसी एक शब्द द्वारा संबोधित करते हैं,

 जैसे :- भारत के माता, ताई, चाची और मौसी के लिए एक ही शब्द " अजा " का प्रयोग किया जाता है इसी तरह पीता, दाऊ, चाचा और मौसा के लिए ' अपु ' शब्द का प्रयोग किया जाता है,




 ( 2) :-वर्णनात्मक:-

 वर्णनात्मक अर्थव्यवस्था प्रत्येक नातेदार के लिए एक शब्द का प्रयोग किया जाता है,

जैसे पिता के बाप को चाचा और पिता के बहन के पति को फूफा, मां के भाई को मामा कहा जाता है वर्णनात्मक नातेदारी के अंतर्गत आते हैं




 नातेदारी की रीतीया :-

 एक नातेदारी समूह से जुड़े लोगों के व्यवहारों को नियंत्रित करने के लिए अनेक ऐसे रीति रिवाजों विकसित किए जाते हैं,

जिनसे कुछ लोगों के बीच नजदीकी बढ़ सके और कुछ लोगों के बीच दूरी बनाए जा सकें,






नातेदारी के दो प्रकार है :-

( A ) परिहार,

( B )परिहास,




 ( A ) परिहार :-

परिहार का अर्थ है रुकना या है निषेध लगाना, नातेदारी व्यवस्था में कुछ नीतियां ऐसी होती है जो कुछ नातेदार को उसको एक दूसरे के समीप आने या आप ही घनिष्ट संबंध रखने पर रोक लगाती है,

अनेक समाज में यह नियम है कि पुत्र बधु और ससुर एक दूसरे के प्रत्यक्ष रुप से बातचीत ना करें,

परिहार सम्बन्ध अनेक रीतीया का सम्बन्ध शिस्टाचार और नैतिक मूल्यों को बनाए रखने में भी होता है,




( B )परिहास :- 

परिहास का अर्थ है की हंसी मजाक, नातेदारी व्यवस्था में कुछ ऐसे सम्बन्ध होते हैं की जिनके बिच समझ द्वारा नजदीकी और हंसी मजाक के संबंधों को मान्यता दी जाती है,

जैसे देवर भाभी, ननंद भाभी इत्यादि अनेक संबंध में होने वाले हसीं मज़ाक को बुरा नहीं माना जाता है,




मुझे आशा है की आपको अभी इस पोस्ट को यहाँ तक पढ़ रहे है तो आपको यह पोस्ट पसंद आया होगा इसलिए आप इस पोस्ट को यहाँ तक पढ़ रहे है,

अगर अभी आपको कोई दिकत हुई होंगी पढ़ने मे या हमसे कोई गलती हो गई होंगी तो हमें माफ़ कर दीजियेगा।और कुछ पढ़ना चाह रहे होंगे तो हमें कमैंट्स जरूर करें धन्यवाद.


अंत मे आप जाते जाते इस पोस्ट को शेयर जरूर कर ले धन्यवाद.


 धन्यवाद 




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